मकर संक्रन्ति क्यों मानते हैं ? मकर संक्रांति का क्या महत्त्व है? – नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप सभी ? उम्मीद है कि आप सभी स्वस्थ होंगे । दोस्तों मैं एक बार फिर से आप सभी के सामने उपस्थित हूं एक बिल्कुल ही नई जानकारी के साथ। आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं मकर संक्रांति के बारे में । तो दोस्तों अगर आप भी जानना चाहते हैं कि मकर संक्रांति क्या है? मकर सक्रांति क्यों मनाई जाती है? और मकर संक्रांति मनाने के पीछे क्या महत्व है तो हमारा आज का यह आर्टिकल पूरा आखरी तक जरूर पढ़िए ।
दोस्तों भारत के त्योहार भारत की संस्कृति के तरह ही सबसे अनोखे होते हैं। मकर संक्रांति के दिन लोग पतंग उड़ा कर अपनी खुशी का इजहार करते हैं और आसमान को पतंगों से रंग बिरंगा कर देते हैं। मकर संक्रांति की सबसे अधिक मानता गुजरात में है लेकिन भारत के लगभग सभी सभी प्रदेश इस त्यौहार को बड़े खुशी के साथ मनाते हैं तो दोस्तों हम मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं इसके बारे में जानते हैं
मकर संक्रांति क्या है?
मकर संक्रांति हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है जो पूरी तरह से सूर्य देव को समर्पित है और यह त्यौहार अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है । कहीं-कहीं पर घर की सफाई कर के पुराने सामान को बेचकर उसकी जगह नया सामान खरीद कर रखते हैं तो कहीं कहीं पर लोग कपड़े और रंग-बिरंगे पतंगे लाते हैं लेकिन चाहे जो लोग चाहे जिस तरीके भी त्यौहार मनाते हो लेकिन हर जगह इस त्यौहार वाले दिन खुशियां ही फैली होती हैं । यह त्यौहार सूर्य देव को समर्पित होने के कारण अपने आप में ही अनोखा है।
मकर संक्रांति को और किन किन नामों से जाना जाता है?
दोस्तों वैसे तो मकर संक्रांति एक शुद्ध हिंदी नाम है लेकिन किसी किसी राज्य में इसे अन्य नामों से भी पुकारा जाता है। जैसे कि गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है तो बिहार राजस्थान और झारखंड में इसे सकरात कहा जाता है।
दोस्तों मकर संक्रांति के दिन गुड और तिल के लड्डू भी बनाए जाते हैं और अब तो लोग पतंग उड़ाना बहुत पसंद करते है और अब तो कोई भी मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने से पीछे नहीं हटता है।
मकर संक्रांति में लोग अपने घरों में रंगोली बनाते हैं तथा सूर्य देव की अपने अपने माध्यम से पूजा करते हैं जैसे कि कोई तुलसी के पौधे के माध्यम से सूर्य देव की आराधना करता है तो वहीं पर कुछ लोग तालाब झील व नदियों के माध्यम से सूर्य देव की आराधना करते है।
मकर संक्रांति के दिन किन-किन चीजों का सेवन किया जाता है?
दोस्तों अब आप सभी के मन में एक प्रश्न आ रहा होगा कि मकर संक्रांति के दिन किन चीजों का सेवन किया जाता है तो मैं आपको बता दू की दोस्तों मकर संक्रांति के त्योहार में पूरे देश में तिल और गुड़ से बने लड्डू या मिठाइयां खाई जाती हैं और इसके साथ साथ दाल चावल और घी से बनी हुई खिचड़ी भी खाते हैं।
मकर संक्रांति के दिन दान देने की प्रथा को शुभ क्यों माना जाता है?
मकर संक्रांति के दिन में दान देने की प्रथा प्रचलित है बहुत से लोग जानना चाहते हैं कि आखिर दान देने के पीछे कारण क्या है तो मैं उनको बता दूं कि इस त्यौहार की यह मान्यता है कि इस दिन दान करने से 100 गुना ज्यादा प्राप्त होता है इसीलिए लोग इस दिन जरूरतमंदों व गरीबों को दान देते हैं ।
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?
दोस्तों मकर संक्रांति मनाने के अनेक कारण है जैसे अलग-अलग धर्मों में अपनी-अपनी मान्यता के अनुसार लोग मकर संक्रांति का त्यौहार मनाते हैं जिनमें से मुख्य रूप से सूर्य भगवान के दक्षिणायन से उत्तरायण में जाने के पावन अवसर पर मनाया जाता है।
भारतीय शास्त्रों में कहा गया है कि जब सूर्य दक्षिणायन में रहते है तब देवताओं की रात्रि होती है मतलब कि यह समय नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है और वहीं दूसरी तरफ जब सूर्य भगवान उत्तरायण में रहते हैं तो या देवताओं का दिन माना जाता है और यह समय हिंदू शास्त्रों के अनुसार बहुत शुभ समय होता है।
भारत उत्तरी गोलार्ध में स्थित है और मकर संक्रांति से पहले सूर्य भारत के हिसाब से दक्षिणी गोलार्ध में रहता है। अब मकर संक्रांति के समय पर वह उत्तरी गोलार्ध में आना शुरू कर देता है जिसका अपने भारतीय सभ्यता के अनुसार सूर्य का उत्तरायण का समय शुरू हो जाता है और इस क्रिया के बाद सर्दी के दिन समाप्त होने शुरू हो जाते हैं और दिन बड़े हुआ रातें छोटी होने लगते हैं इसको एक तरह से कहा जाए तो गर्मियों की शुरुआत हो जाती है।
मकर संक्रांति के त्योहार का वैज्ञानिक महत्व
जी हां दोस्तों मकर संक्रांति के पीछे वैज्ञानिक महत्व भी है वैसे तो मकर संक्रांति का पर्व हमारी आस्था से जुड़ा हुआ है लेकिन वैज्ञानिकों का भी एक अलग मत है । दोस्तों हम अधिकता त्यौहार में कुछ ऐसे काम कर देते हैं जो पर्यावरण को काफी हानि पहुंचाते हैं लेकिन मकर संक्रांति उन त्योहारों में से नहीं है । इस त्यौहार में पूरी तरह से पर्यावरण की सुरक्षा होती है और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मकर संक्रांति अपना एक अलग ही महत्व रखती है।
मकर संक्रांति के दिन से गर्मी की शुरुआत हो जाती है और नदियों में वाष्पन क्रिया शुरू हो जाती है इसका कारण यह है कि सूर्य भारत की तरफ बढ़ना शुरू कर देता है और वैज्ञानिक के अनुसार नदियों से निकलने वाली वास कई रोगों को नष्ट कर देती है इसी कारण मकर संक्रांति के दिन नदियों में नहाने की प्रथा भी है और वैज्ञानिक इसे हमारे शरीर को बहुत लाभकारी मानते हैं।
मकर संक्रांति कब मनाई जाती है?
मकर संक्रांति का त्यौहार प्रतिवर्ष जनवरी के महीने में मनाया जाता है वैसे तो ज्यादातर मकर संक्रांति को 14 जनवरी को ही मनाया जाता है लेकिन कुछ बार इसे 15 जनवरी और 13 जनवरी को भी मनाया गया है जैसे कि साल 2020 में मकर संक्रांति को 15 जनवरी को मनाया गया था।
अगर भारतीय शास्त्रों के अनुसार देखा जाए तो जिस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की तरफ जाता है उसी दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है और वही कुछ राज्य इस त्यौहार को देवताओं को नींद से उठने के शुभ अवसर के रूप में मनाते हैं।
मकर संक्रांति को कैसे मनाया जाता है
दोस्तों मकर संक्रांति के त्योहार को उन त्योहारों में गिना जाता है जो पूरा देश एक साथ मनाता है । मकर संक्रांति की विभिन्न स्थानों में विभिन्न मान्यताओं के साथ अनेकों तरह से मनाया जाता है । दोस्तों अब हम जानते हैं कि मकर संक्रांति कहां पर यानी किस राज्य में कैसे मनाई जाती है।
उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को दान के त्योहार के रूप में मनाया जाता है उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति के दिन लोग अधिक से अधिक दान करते हैं।
और वही पंजाब और हरियाणा में मकर संक्रांति के त्योहार को लोहरी के रूप में मनाया जाता है। वह लोग इस दिन तिल चावल और गुड़ के साथ भुने हुए मक्के को अग्नि में आहुति देते हैं और नाच गाना करते हैं।
बिहार में इस त्यौहार को खिचड़ी का त्यौहार माना जाता है बिहार में मकर संक्रांति के दिन लोग खिचड़ी बनाते हैं और वस्त्रों को दान करते हैं।
राजस्थान में यह सास और बहू के रिश्ते को मजबूत करने के लिए जाना जाता है और मकर संक्रांति के दिन हुए अपने सास को वस्त्र और चूड़ियां भेंट करती हैं तथा उनसे आशीर्वाद की कामना करते हैं।
तमिलनाडु में इस त्यौहार को पोंगल के नाम से जाना जाता है और खास बात यह है कि तमिलनाडु में इस त्यौहार को लोग 4 दिन तक मनाते हैं।
महाराष्ट्र में इस दिन दान देने तथा हलवा बनाने की प्रथा है।
मगर दोस्तों गुजरात में इसे सबसे ज्यादा खुशी के साथ मनाया जाता है ।गुजरात में लोग पतंग उड़ाते हैं तथा मिठाइयां बांटते हैं और इनमें खास मिठाइयां जोकि गुड हुआ तिल से बनी होती हैं।
और दोस्तों अंत में मैं आप सबसे यही कहना चाहता हूं की मकर संक्रांति का त्यौहार सूर्य देवता के पूजन के रूप में मनाया जाता है जिसको भारतीय सभ्यता के दृष्टिकोण से देखा जाए तो सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण की और जाने के दिन मनाया जाता है । यह त्यौहार पूरा देश एक साथ खुशी के माहौल में मनाता है और लोग मिठाइयां और खिचड़ी खाते हैं तथा पतंग उड़ा कर माहौल को और खुशनुमा बना देते हैं।
निष्कर्ष
तो दोस्तों आज की यह जानकारी यहीं पर समाप्त होती है आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि मकर संक्रांति का पर्व क्या है तथा मकर संक्रांति का पर्व क्यों मनाया जाता है। आज हमने आपको मकर सक्रांति पर्व के पीछे जुड़े कुछ अन्य रोचक बातों के बारे में भी बताया । हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। दोस्तों अगर आप इसी प्रकार के अन्य जानकारियां पाना चाहते हैं तो हमारा आर्टिकल प्रतिदिन पढ़िए । अपना कीमती समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद