वसंत पंचमी मुहूर्त, सरस्वती पूजा करने की विधि, वसंत पंचमी का इतिहास में महत्व – माघ माह के शुक्ल पक्ष के पंचमी को वसंत पंचमी या श्रीपंचमी कहा जाता है। इस दिन सरस्वती पूजा का आयोजन होता है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई देशों में बड़े उल्लास के साथ की जाती है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करते हैं। माता सरस्वती को ज्ञान की देवी माना जाता है। उनकी कृपा से ही बुद्धि विवेक कला इत्यादि में हम निपुण हो सकते हैं इसीलिए बसंत पंचमी के दिन सभी घरों में माता सरस्वती की पूजा की जाती है।
बच्चों के लिए दिन यह दिन काफी खास इसलिये हैं क्योंकि इस दिन जगह-जगह पर मेलों का भी आयोजन किया जाता है। कई स्कूलों एवं कॉलेजों में भी परीक्षा से पहले वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है। इसके बाद बोर्ड परीक्षा के अभ्यर्थियों की छुट्टी करा दी जाती है, ताकि वे अपनी तैयारी कर सकें। सरस्वती पूजा का उद्देश्य यह भी होता है कि आप परीक्षाओं में अच्छे नंबर लाकर सफलता प्राप्त कर सकें।
वसंत पंचमी 2021 मुहूर्त
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ 16 फरवरी को 03 बजकर 36 मिनट पर हो रहा है, जो 17 फरवरी दिन बुधवार को सुबह 05 बजकर 46 मिनट तक है। ऐसे में वसंत पंचमी का त्योहार 16 फरवरी को ही मनाया जाएगा।
कब करें सरस्वती पूजा
16 फरवरी को सुबह 06 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट के बीच सरस्वती पूजा का मुहूर्त बन रहा है। इसीलिए आप इसी समय के बीच सरस्वती पूजा करें। विशेष मुहूर्त में सरस्वती माता के पूजन से उनका आशीर्वाद सीधे आपको प्राप्त होता है।
क्यों वसंत पंचमी के दिन की जाती है सरस्वती पूजा? मान्यताओं के अनुसार ज्ञान और वाणी की देवी माता सरस्वती माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं। इसी वजह से इस तिथि को सरस्वती पूजा की जाती है। मान्यता यह भी है कि वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की पूजा करने से वो जल्दी प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा आप पर बरसती है। इसलिए पूरे विधि-विधान से माँ सरस्वती की पूजा करें।
माता सरस्वती को चढ़ाएँ ये चीजें
वसंत पंचमी के दिन स्नान करने के बाद पीले या सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए। विधि विधान से पूजा करते समय माँ सरस्वती को पीले फूल, पीले रंग की मिठाई या खीर जरूर चढ़ाना चाहिए। उनको केसर या पीले चंदन का टीका लगाएं और पीला वस्त्र भेंट करें।
क्यों है वसंत पंचमी का महत्व?
वसंत पंचमी का दिन किसी भी ज्ञान या कला की विद्या को सीखने और प्रारंभ करने के लिए लिए सबसे अच्छा माना जाता है। जैसे यदि आप संगीत के क्षेत्र में हैं तो नई गीत की शुरूआत, नृत्य के क्षेत्र में हैं तो नृत्य की शुरूआत कर सकते हैं। किसी भी ज्ञान या विद्या की चीजों की शुरुआत वसन्त पंचमी के दिन करने से उसमें सफलता जरूर मिलती है। जो महत्व सैनिकों के लिए विजयादशमी का है, जो महत्व विद्वानों के लिए व्यास पूर्णिमा का है, जो महत्व व्यापारियों के लिए दीपावली का है, वही महत्व कलाकारों के लिए वसंत पंचमी का है।
चाहे वे कवि हों या लेखक, गायक हों या वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सभी इस दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं। छोटे बच्चों को इस दिन से पढ़ाई शुरू कराया जाता है, ताकि वे भविष्य में सफल हो सकें। यह दिन गृह प्रवेश के लिए भी शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, वसंत पंचमी को कामदेव अपने पत्नी रति के साथ पृथ्वी पर आते हैं और हर ओर प्रेम का संचार करते हैं।
वसंत पंचमी का ऐतिहासिक महत्व
- वसंत पंचमी का दिन इतिहास में भी अपना स्थान रखता है। पृथ्वीराज चौहान ने इतिहास में 16 बार मोहम्मद गोरी को हराया था और उसे जिंदा छोड़ दिया। लेकिन 17वीं बार मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया और उनकी आंख फोड़कर उन्हें बंदी बना लिया। चौहान के पास शब्दभेदी बाण चलाने की कला थी, जिसको देखने के लिए मोहम्मद गोरी ने इच्छा जताई। इसके बाद चौहान के दरबारी कवि चंदरबरदाई ने एक कविता के माध्यम से मोहम्मद गोरी की सही जगह बताई। चंदरबरदाई ने कहा- चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण। ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान॥
इसको सुनकर पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी के ऊपर बाण चला दिया, इससे गोरी की मृत्यु हो गई। इसके बाद चौहान और चंदरबरदाई ने एक दूसरे को छूरा घोंपकर मृत्यु प्राप्त की।
- वसंत पंचमी के दिन ही सिक्खों के 10वें गुरू गुरू गोविंद सिंह का विवाह हुआ था।
- वसंत पंचमी के दिन ही वीर हकीकत को इस्लामिक कट्टरपंथियों ने सिर कटवा दिया था। वे लाहौर के एक स्कूल में पढ़ रहे थे, जहाँ पर मुस्लिम छात्र बहुत अधिक थे। मुस्लिम छात्रों ने।माँ दुर्गा का मजाक उड़ाया। इसके बाद वीर हकीकत ने उन्हें मना करते हुए कहा कि अगर मैं बीबी फ़ातिमा के बारे में बालू तो तुम्हें कैसा लगेगा? इस पर मुस्लिम छात्रों ने मौलवी से कह दिया कि उसने बीबी फ़ातिमा का मजाक उड़ाया है। मौलवी ने शर्त रखी कि या तो वीर हकीकत इस्लाम अपना ले या फिर उसका सिर काट दिया जाएगा। वीर हकीकत ने इस्लाम नहीं अपनाया और सिर कटवाना मुनासिब समझा।
जब जल्लाद वीर हकीकत का सिर काटने जा रहा था तो उनके भोलेपन को देखकर उसके हाथ से तलवार गिर गई। इस पर वीर हकीकत ने खुद तलवार उठाकर जल्लाद के हाथों में थमा दी और उसे अपने कर्तव्य का पालन करने को कहा। ऐसा माना जाता है कि वीर हकीकत का सिर काटने के बाद वह जमीन पर नहीं गिरा बल्कि सीधे स्वर्ग लोक चला गया।