गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है? – नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप सभी? उम्मीद है कि आप सभी स्वस्थ होंगे । दोस्तों मै एक बार फिर से आप सभी का स्वागत करता हूं हमारे इस बिल्कुल नए आर्टिकल पर । आज हम आपको अपने इस आर्टिकल पर बताने जा रहे हैं कि गणेश चतुर्थी क्या है? तथा गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है? दोस्तों अगर आप भी गणेश चतुर्थी के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारा आज का यह आर्टिकल आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होने वाला है।
दोस्तों जैसा कि आप सभी को पता है हमारे देश में अनेक प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं। हर महीने आपको एक अलग त्यौहार देखने को मिलेगा, जिसके पीछे अपनी एक अलग मान्यता और अपना एक अलग इतिहास होता है। इन्हीं में से एक त्यौहार है गणेश चतुर्थी। जी हां दोस्तों यह वही गणेश चतुर्थी का त्योहार है जिसके आने पर आप सभी के चेहरों पर एक अलग ही प्रसन्नता छा जाती है और हमें से बहुत से लोग साल भर गणेश चतुर्थी आने का इंतजार करते हैं ।
गणेश चतुर्थी का त्योहार वैसे तो भारत के हर एक राज्य में और हर एक स्थान में मनाया जाता है पर वैसे यह त्यौहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र का है और महाराष्ट्र में इस त्यौहार को एक अलग ही आनंद के साथ मनाया जाता है। महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी प्रारंभ होने के महीने भर पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं और बड़े बड़े गणेश पंडाल बनाए जाते हैं, जहां पर बप्पा को आमंत्रित किया जाता है और वहां पर लगभग 1 हफ्ते तक उनके प्रति दिन पूजा-अर्चना की जाती है।
गणेश चतुर्थी का त्योहार ना सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों तक में मनाया जाता है। कई ऐसे देश है जैसे कंबोडिया न्यूजीलैंड अमेरिका जहां पर गणेश चतुर्थी को बहुत ही महत्व दिया जाता है और वहां पर भी गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है। अतः आप सभी सोच रहे होंगे कि यह त्यौहार आखिर क्यों मनाया जाता है और गणेश चतुर्थी के पीछे क्या पौराणिक महत्व है? जो इस त्यौहार को न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में महत्वता दी गई है।
गणेश चतुर्थी का त्योहार क्यों मनाया जाता है?
दोस्तों हमारे देश में जब भी कोई शुभ कार्य होता है तो उस शुभ कार्य के पहले भगवान गणेश की स्तुति की जाती हैं। जितने भी भगवान हैं उन सभी में गणेश भगवान की स्तुति सबसे पहले होती है । अगर आप कोई नया प्रतिष्ठान शुरू करने जा रहे हैं या फिर कोई नया कार्यक्रम का आयोजन करने जा रही हैं तो पूजा पाठ की विधि में सबसे पहले भगवान गणेश का ही पूजा-अर्चना होती है, इसके पीछे भी अपना एक अलग महत्व है। दोस्तों ऐसा कहा जाता है कि भगवान गणेश को स्वयं ब्रह्मा जी ने यह वरदान दिया था।
हमारे देश में गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है और गणेश चतुर्दशी हिंदुओं का एक बहुत ही प्रमुख त्यौहार होता है। गणेश चतुर्थी त्योहार की शुरुआत अनेक प्रकार के वैदिक भजन और प्रार्थना से होती है, जितने दिन बप्पा पंडाल में रहते हैं उतने दिन उनकी प्रतिदिन पूजा अर्चना की जाती है और उनको भोग लगाया जाता है।
गणेश चतुर्थी क्यूँ मनाया जाता है?
आइए दोस्तों अब हम आपका ज्यादा समय बर्बाद नहीं करते हुए आपको बताते है कि आखिर गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया क्यों जाता है? दोस्तों जितने भी देवी देवता है उन सभी के अपने एक अलग कार्य है जैसे सरस्वती माता का विद्या से संबंधित कार्य । उसी प्रकार भगवान गणेश का कार्य सुख समृद्धि का है और ऐसा माना जाता है कि अगर आप उस सुख समृद्धि चाहते हैं तो उसके लिए आपको भगवान गणेश की स्तुति करनी होगी , इसीलिए प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है और इस त्यौहार को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि भगवान हमारे सारे भाव बाधाओं को दूर करें और हमारे जीवन में खुशियां भर दे।
पुराणों में ऐसा भी लिखा है कि गणेश चतुर्थी के दिन ही भगवान गणेश का जन्म हुआ था इसलिए यह एक प्रकार से भगवान गणेश के जन्म उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी का आयोजन करने के लिए लोग बड़े-बड़े एवं भव्य पंडाल बनाते हैं और उस पंडाल में खूब सारी सजावट करते हैं। पंडाल कंप्लीट होने के बाद उसमें भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित किया जाता है। प्रतिमा स्थापित होने के बाद आप अपनी श्रद्धा अनुसार 5 दिन या 7 दिन के लिए बप्पा को उस पंडाल में रख सकते हैं।
प्रतिदिन आपको गणपति बप्पा को भोग लगाना होगा तथा उनकी सुबह शाम आरती करनी होगी। कई जगह पर सुंदर सुंदर झांकियों का भी आयोजन होता है और अंत में बप्पा को पूरे सम्मान के साथ मां गंगा में विसर्जित कर दिया जाता है और वहां पर कामना की जाती है कि अगले साल फिर से गणपति बप्पा जल्दी जाएं।
गणेश चतुर्थी के मुख्य मंत्र
गणेश चतुर्थी का आयोजन आपको पूरे धार्मिक अनुष्ठान के साथ करना पड़ता है और बप्पा को खुश करने के लिए आपको उनके प्रिय मंत्रों का उच्चारण करना होता है । आइए हम आपको गणेश भगवान का प्रिय मंत्र बताते हैं जिसका उच्चारण करके आपको गणपति बप्पा को खुश कर सकते हैं।
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटी समप्रभ .
निर्विध्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा …
गणेश चतुर्थी भारत को छोड़कर इसे और कहाँ मनाया जाता है?
दोस्तों जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया था कि गणेश चतुर्थी का त्योहार ना सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है । भारत के साथ-साथ यह त्यौहार Thailand, Cambodia, Indonesia, Afghanistan, Nepal और China में भी पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है ।
गणेश चतुर्थी की कहानी
अभी तक आपने गणेश चतुर्थी के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर ली है तो आइए अब हम आपको गणेश जी से जुड़े एक बहुत ही प्रचलित पर और प्राचीन कथा को सुनाते हैं।
जैसा की आप सभी को पता है गणेश भगवान की माता का नाम पार्वती है । एक बार माता पार्वती स्नान करने के लिए सरोवर जा रही थी। सरोवर में कोई और ना जाए इस बात का ध्यान रखने के लिए माता पार्वती ने भगवान गणेश को पहरेदारी के लिए नियुक्त किया और उन्होंने भगवान गणेश को आदेश दिया कि जब तक वह सरोवर में स्नान कर रही है तब तक वहां पर कोई भी प्रवेश ना करें । भगवान गणेश ने माता की आज्ञा का पालन किया और सरोवर के दरवाजे पर एक सैनिक की भांति खड़े हो गए।
कुछ ही समय बात है भगवान गणेश के पिता भगवान भोलेनाथ उसी सरोवर में जाने के लिए दरवाजे से होकर गुजरे किंतु माता का आज्ञा का पालन कर रहे भगवान गणेश ने उनको ऐसा करने से रोका और उन्होंने कहा कि आप सरोवर नहीं जा सकते सरोवर में माता स्नान कर रही है। इस पर भगवान शंकर को क्रोध आया और उन्होंने भगवान गणेश से कहा कि वह आगे से हट जाए, पर भगवान गणेश अपनी माता का आज्ञा का पालन कर रहे थे और उन्होंने आगे से हटने से मना कर दिया। इसी बीच दोनों लोगों के बीच में शस्त्र युद्ध हुआ और भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से गणेश भगवान के ऊपर प्रहार कर दिया , जिससे गणेश भगवान का सर काट के अलग हो गया।
कुछ समय बाद जब माता पार्वती ने कोलाहल सुना तो वह सरोवर से बाहर आई और उन्होंने देखा कि भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग पड़ा है और वहां पर भगवान भोलेनाथ अपना त्रिशूल लिए खड़े हैं जिससे उनको बहुत क्रोध आया और वह बिलक बिलक कर रोने लगी। इसके बाद अन्य सभी देवी देवता माता पार्वती को समझाने और उन्हें मनाने के लिए आए पर माता पार्वती समझने के लिए तैयार ही नहीं थी और वह अपने पुत्र को जीवित करने के लिए आग्रह करती रही। अंत में भगवान ब्रह्मा जी ने आदेश दिया कि जो भी पूर्व दिशा की ओर सो रहा है उसका अगर सर काट के ले आया जाए तो वह सर भगवान गणेश के धड़ से जोड़ दिया जाएगा और भगवान गणेश जीवित हो जाएंगे
यह सुनते ही कैलाश पर्वत के सारे भूत प्रेत और सैनिक जंगल दौड़ पड़े और वहां पर पूर्व दिशा में सो रहे जीव को ढूंढने लगे, पर कई घंटों तक प्रयास करने पर भी उन्हें कोई ऐसा प्राणी नहीं मिला जिसका मुंह सूर्य की तरफ हो अंत में उन्हें एक हाथी दिखाई दिया जो सूर्य की ओर मुंह करके सो रहा था और उन्होंने उस का सर काट दिया और ब्रह्मा जी के पास ले आए। ब्रह्मा जी ने उस सीष को गणेश भगवान के धड़ से जोड़ दिया और तब से भगवान गणेश को लंबोदर नाम दे दिया गया क्योंकि उनका धड़ के नीचे का हिस्सा एक साधारण इंसान की तरह था तथा धड़ के ऊपर का हिस्सा एक हाथी की तरह था।
निष्कर्ष
दोस्तों यह आपके लिए एक छोटी सी जानकारी थी जिसमें आज हमने आपको भगवान गणेश के बारे में बताया । आज का यह आर्टिकल गणेश चतुर्थी पर आधारित था। इस आर्टिकल में आपने जाना जी गणेश चतुर्थी क्या है? तथा गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है? दोस्तों हमें उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी / हम आपके लिए अपने आर्टिकल पर अनेक विषय में जानकारी लेकर आते रहते हैं, अगर आप इसी तरह की अन्य जानकारियां पाना चाहते हैं तो हमारा आर्टिकल प्रतिदिन पढ़िए। अपना कीमती समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद