निर्जला एकादशी व्रत क्या है? तथा निर्जला एकादशी व्रत के पीछे का इतिहास – नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप सभी? उम्मीद है कि आप सभी स्वस्थ होंगे। दोस्तों मैं एक बार फिर से आप सभी का स्वागत करता हूं हमारे इस बिल्कुल नए आर्टिकल पर । आज के इस आर्टिकल में हम आपको निर्जला एकादशी व्रत के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे निर्जला एकादशी व्रत क्या है तथा निर्जला एकादशी व्रत क्यों किया जाता है। अगर आप भी इन सभी जानकारियों के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारा आज का यह आर्टिकल आखिरी तक पूरा पढ़िए।
दोस्तों अगर आप भारत देश के नागरिक है तो आपको खुद को बहुत ही खुश किस्मत समझना चाहिए क्योंकि हमारा देश से अनेक संस्कृतियों का एक अनूठा संगम है। हमारे देश में आपको अनेक प्रकार के पर्व और त्योहार देखने को मिल जाएंगे जो एक साथ मिलजुल कर मनाए जाते हैं। इन सभी त्योहारों के पीछे का अपना एक अलग रहस्य और अपना एक अलग इतिहास होता है। पर वजह चाहे जो भी हो इन सभी त्योहारों के आयोजन से देश के हर एक धर्म और संप्रदाय के बीच प्रेम भाव और अधिक गहरा हो जाता है।
दोस्तों अगर आप भारत के कैलेंडर पर नजर डाले तो आप देखेंगे कि प्रतिदिन आपको कोई ना कोई नया पर्व त्यौहार देखने को मिलेंगे। हमारे देश में व्रत रखने का एक अलग ही रिवाज है। व्रत रखने से शारीरिक और मानसिक सुख प्राप्त होता है। व्रत के पीछे आध्यात्मिक महत्व है तो वैज्ञानिक महत्व भी है।
अध्यात्म की दृष्टि से देखें तो व्रत रखने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं और व्रत रखकर हम अपना त्याग प्रस्तुत करते हैं और अगर हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो व्रत रखना इसलिए अच्छा होता है क्योंकि एक दिन हम बिना कुछ खाए पिए गुजार देते हैं। जिससे हमारा पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है।
हमारे देश में आपको अनेक प्रकार के व्रत देखने को मिलेंगे। जिनमें से शिवरात्रि का प्रथम नवरात्रि का व्रत बृहस्पतिवार का व्रत सोमवार का व्रत प्रमुख है। पर इन सभी व्रतों में जो सबसे महत्वपूर्ण व्रत है वह है निर्जला एकादशी का व्रत। अगर आपके घर में भी बड़े बुजुर्ग हैं तो वह भी निर्जला एकादशी का व्रत रखते होंगे।
अगर आप नहीं जानते कि निर्जला एकादशी का व्रत क्या है और निर्जला एकादशी का व्रत क्यों किया जाता है तो यह आर्टिकल निश्चित रूप से आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होगा। क्योंकि इस आर्टिकल में आज आप निर्जला एकादशी व्रत से जुड़ी हर जानकारी विस्तार से जानेंगे ।
निर्जला एकादशी व्रत क्या है ?
निर्जला एकादशी व्रत हिंदुओं का एक बहुत ही प्रमुख व्रत है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार 1 वर्ष में अनेक बार एकादशी होती है। जिनमें हर एक एकादशी को व्रत रखना अनिवार्य होता है। पर आजकल हर कोई इतना बिजी है कि वह हर एकादशी व्रत नहीं रख पाता है इसीलिए निर्जला एकादशी व्रत एक ऐसा व्रत है जिसे देखकर आप अन्य सभी एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
निर्जला एकादशी का व्रत आमतौर पर जून में होता है। जून में जब सारे नदी तालाब सूख जाते हैं और गर्मी अपने चरम सीमा पर होती है तब यह व्रत होता है। इसके पीछे का उद्देश्य भी है कि निर्जला एकादशी व्रत में आप जल को संरक्षित करने का संदेश भी देते हैं क्योंकि निर्जला एकादशी व्रत में जल पीना बना होता है।
निर्जला एकादशी व्रत एक बहुत ही कठोर व्रत होता है। निर्जला एकादशी व्रत रखना हर किसी के बस की बात नहीं है। निर्जला एकादशी व्रत में आपको बिना खाए पूरा दिन गुजारना होता है। सबसे बड़ी बात यह है कि निर्जला एकादशी में आपको पानी की एक बूंद भी नहीं पी सकते हैं।
निर्जला एकादशी व्रत में आपके मुंह का लार भी आपके गले के नीचे नहीं उतरना चाहिए इसीलिए बहुत ही कम लोग ऐसे होते हैं जो निर्जला एकादशी का व्रत रखते हैं। किंतु निर्जला एकादशी व्रत का अपना एक बहुत बड़ा महत्व है और ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति निर्जला एकादशी का व्रत रखता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और वह मोक्ष को प्राप्त होता है।
निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को होता है।
निर्जला एकादशी का व्रत कैसे किया जाता है ?
दोस्तों अगर आप भी निर्जला एकादशी का व्रत नहीं रहते हैं किंतु निर्जला एकादशी का व्रत रहना चाहते हैं तो आपके लिए यह जानना आवश्यक है कि निर्जला एकादशी का व्रत कैसे किया जाता है? अगर आप नहीं जानते तो मैं आपको बता दूं कि निर्जला एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है।
जिस दिन निर्जला एकादशी का व्रत होता है उस दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठा जाता है। सुबह जल्दी उठकर निर्जला एकादशी व्रत के आराध्य श्री विष्णु भगवान की पूजा होती है। इस दिन दान देने का भी रिवाज है इसीलिए पूजा करने के पश्चात आपको गौ दान देना होता है। गौ दान देने के बाद आपको ब्राह्मणों को भी दान देना होता है। दान के साथ-साथ दक्षिणा देना भी अनिवार्य होता है। अलग-अलग स्थानों पर निर्जला एकादशी व्रत बनाने का तरीका अलग है क्योंकि कुछ स्थानों पर जल के कलश को दान के रूप में दिए जाते हैं।
निर्जला एकादशी के व्रत में भगवान को तुलसी और बेल के पत्र अर्पित किए जाते हैं। लेकिन एक बात विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि जिस दिन निर्जला एकादशी का व्रत होता है उस दिन तुलसी और बेल के पत्ते नहीं तोड़े जाते हैं। इसीलिए भगवान को चढ़ाने के लिए एक दिन पहले ही तुलसी और बेल के पत्ते रख ले।
निर्जला एकादशी व्रत की पूजन विधि
दोस्तों हम आपको बताते हैं कि निर्जला एकादशी के व्रत में पूजा अर्चना किस प्रकार की जाती है।
निर्जला एकादशी व्रत वाले दिन आपको सुबह जल्दी उठना पड़ता है। सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले आपको स्नान करना होता है। स्नान करने के बाद आपको भगवान विष्णु की प्रतिमा को भी गंगाजल से स्नान कराना होता है। स्नान होने के बाद आपको भगवान विष्णु को रोली और चंदन का टीका करना होता है।
रोली और चंदन का टीका करने के बाद आपको पुष्प अर्पित करने हैं। जब आप पुष्प अर्पित कर हो तो उन्हें मिठाई भी अर्पित करें। ध्यान रहे मिठाई के साथ-साथ आपको तुलसी का पत्ता रखना है। तुलसी के पत्ते के ऊपर ही भगवान को भोग लगाया जाता है।
एकादशी व्रत में आपको घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता है। दीपक जलाने के बाद अपने आराध्य देव भगवान विष्णु की पूजा शुरू की जाती है । भगवान विष्णु की पूजा उनके प्रिय मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः के जाप के साथ प्रारंभ होती है। आप जितने बार चाहे इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। जाप करने के बाद आपको भगवान विष्णु की कथा सुननी पड़ती है।
कथा सुनाने के बाद आपको जल से भरे हुए कलश को सफेद कपड़े से ढक कर रखना होता है और इसी कलश में कुछ दक्षिणा मिलाकर ब्राह्मणों को दान देना पड़ता है। दान देने से आपके सारे दुख और कष्ट आपसे दूर हो जाते हैं और इस प्रकार निर्जला एकादशी का व्रत पूर्ण होता है।
निष्कर्ष
दोस्तों आज यह आपके लिए निर्जला एकादशी व्रत करने का तरीका था। आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया निर्जला एकादशी का व्रत किया है तथा निर्जला एकादशी व्रत के पीछे का महत्व क्या है? हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। दोस्तों अगर आप इसी प्रकार के अन्य जानकारियां पाना चाहते हैं तो हमारा आर्टिकल प्रतिदिन पढ़िए । आज की यह जानकारी यहीं समाप्त होती है। अपना कीमती समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। शुभ दिन